कहां तो आम आदमी पार्टी की पहली और दूसरी लिस्ट में सीटिंग विधायकों की धड़ाधड़ टिकट काटी जा रही थी जिन विधायकों के टिकट कटे पार्टी आला कमान को उनकी नाराजगी का भी सामना करना पड़ा जिसे देखते हुए चौथी लिस्ट में अरविंद केजरीवाल ने लगभग सभी मौजूदा विधायकों को टिकट दे दिया उस लिस्ट में महरौली से विधायक नरेश यादव को अरविंद केजरीवाल ने टिकट दिया था उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार करते हुए पार्टी को वह टिकट वापस लौटा दिया है जिसके कुछ ही मिनटों बाद अरविंद केजरीवाल ने महरौली से आम आदमी पार्टी की पार्षद रेखा चौधरी के पति महेंद्र चौधरी को टिकट दे दिया जिसके बाद यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि अगर नरेश यादव ने खुद से चुनाव ना लड़ने का फैसला लिया तो उनके फैसला लेने के तुरंत बाद ही पार्टी ने उनकी सीट से कैंडिडेट कैसे डिक्लेयर कर दिया क्या नरेश यादव का यह फैसला उनका खुद का फैसला है या फिर पार्टी की तरफ से उन पर दबाव डाला गया आखिर नरेश यादव ने क्यों टिकट लौटाई इसकी पूरी इनसाइड स्टोरी आपको बताते हैं सबसे पहले तो आपको बता दें कि नरेश यादव ने चुनाव लड़ने से इंकार करते हुए अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा आज से 12 साल पहले आदरणीय श्री अरविंद केजरीवाल जी की ईमानदारी की राजनीति से प्रेरित होकर मैं आम आदमी पार्टी में आया था इस पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया है आज अरविंद जी से मिलकर मैंने उनको बताया कि जब तक कोर्ट से मैं बाइज्जत बरी नहीं हो जाता तब तक मैं चुनाव नहीं लडूंगा मैं पूरी तरह से निर्दोष हूं और मुझ पर लगाए गए इल्जाम राजनीति से प्रेरित और झूठे हैं इसलिए मैंने उनसे गुजारिश की है कि मुझे चुनाव लड़ने से मुक्त कर दे मैं हरौली के लोगों की सेवा करता रहूंगा और एक आम कार्यकर्ता की तरह जी जान लगाकर केजरीवाल जी को फिर से सीएम बनाऊंगा जय हिंद भारत माता की जय अब नरेश यादव की लॉजिक से बात समझी जाए तो जब तक वो कोर्ट से बाइज्जत बरी नहीं हो जाते तब तक चुनाव नहीं लड़ेंगे इस लॉजिक से तो अरविंद केजरीवाल मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जैसे बड़े-बड़े नेता भी कोर्ट से बाइज्जत बरी नहीं हुए हैं जबकि चुनाव लड़ रहे हैं दरअसल अंदर की बात यह है कि नरेश यादव पर हाल ही पंजाब में कुरान की बेअदबी करने के मामले में 2 साल की सजा सुनाई गई थी जिसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में खुद को बेकसूर बताते हुए अपील की है फिलहाल अभी वह जमानत पर बाहर हैं लेकिन जैसे ही उन्हें केजरीवाल ने टिकट दिया बीजेपी और कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना लिया खासकर दिल्ली की उन सीटों पर नरेश यादव के द्वारा कुरान की बेअदबी करने को लेकर मुद्दा बनाया जा रहा था जिन सीटों पर मुस्लिम मतदाता हार जीत तय करते हैं दरअसल दिल्ली में करीब 12 फीदी मुस्लिम हैं दिल्ली में हर आठवा मतदाता मुस्लिम है दिल्ली की 70 विधानसभाओं में से नौ विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता हार जीत तय करते हैं जिसमें बल्लीमारान सीलमपुर ओखला मुस्तफाबाद चांदनी चौक मटिया महल बाबरपुर दिलशाद गार्डन और किराड़ी शामिल है इसके अलावा त्रिलोकपुरी और सीमापुरी में भी मुस्लिम मतदाता अच्छी खासी तादाद में है साल 2020 के चुनाव में यह सभी सीटें केजरीवाल ने जीती थी अब नरेश यादव के मामले के बाद पार्टी को दिल्ली में मुस्लिम वोटर वाले इलाके में नुकसान हो रहा था क्योंकि पहले ही पार्टी ने जिन मुस्लिम विधायकों की टिकट काटे उनमें से कुछ नाराज है तो अब्दुल रहमान कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं वह लगातार अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुसलमानों को इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोले हुए हैं कांग्रेस का भी पूरा फोकस मुस्लिम वोटरों पर ही है ऊपर से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी मुस्लिम सीटों पर पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है ऐसे में इस बार मुस्लिम वोटर 2020 के मुकाबले चुनाव में बटेगा यह तो तय है जिसका नुकसान अरविंद केजरीवाल को ही होगा इसलिए यही वजह है कि फिलहाल अरविंद केजरीवाल ऐसा कोई विवाद नहीं चाहते जिसकी वजह से उन्हें इन सीटों पर नुकसान हो जिस वजह से नरेश यादव ने चुनाव ना लड़ने का फैसला लिया है या फिर उन्हें पार्टी ने कहा यह अंदर की बात है।